एक इन्ड्यूज्ड ड्राफ्ट ज़िगज़ैग भट्ठे (आई.डी.जेड.के.) में, ईंटों की भराई एक फिक्सड चिमनी बुल्स ट्रेंच भट्ठे (एफ.सी.बी.टी.के.) से अलग होती है। इस नॉलेज ब्रीफ में भारत के उत्तरी हिस्से में व्यापक रूप से प्रचलित ट्रिपल ज़िगज़ैग ईंट भराई के बारे में चर्चा की गई है। एक अन्य नॉलेज ब्रीफ, जिसका शीर्षक है – “इन्ड्यूज्ड ड्राफ्ट ज़िगज़ैग किल्न (आई.डी.जेड.के.) में ईंटों की भराई [ईंट सेटिंग टाइप -1] कैसे होती है?” पूर्वी भारत में व्यापक रूप से प्रचलित ईंट भराई की चर्चा करता है।
एक एफ.सी.बी.टी.के. में, ईंटों को ट्रेंच की चौड़ाई में पायों की एक लाइन में सजाया जाता है। पायों की लाइनें हवा के बहाव की दिशा में एक-के-बाद-एक करके सजायी जाती हैं।
एक आई.डी.जेड.के. में, ईंटों की भराई इस तरह की जाती है जिससे भट्ठे में ईंटों के अलग-अलग चेंबर बन जाते हैं। एफ.सी.बी.टी.के. की तरह, आई.डी.जेड.के. में भी, ईंटों को ट्रेंच की चौड़ाई में पायों की एक लाइन में सजाया जाता है। हालांकि, एफ.सी.बी.टी.के. से भिन्न, ईंटों के सभी पाये एक समान चौड़ाई के नहीं होते। ईंटों के पायों की लाइनों को आग के आगे की ओर बढ़ने की दिशा में एक-के-बाद-एक करके सजाया जाता है। आई.डी.जेड.के. में, एक चेंबर में पायों की ऐसी छह लाइनें होती हैं।
ईंट भराई अलग होने के कारण, दोनों तरह के भट्ठों में हवा बहने का मार्ग भी अलग होता है। एक एफ.सी.बी.टी.के. में, हवा ट्रेंच की लंबाई में एक सीधे रास्ते में बहती है। एक आई.डी.जेड.के. में, हवा ट्रेंच की चौड़ाई और लंबाई दोनों में एक ज़िगज़ैग रास्ते में बहती है। हवा एक ज़िगज़ैग पथ पर कैसे बहती है, इस नॉलेज ब्रीफ में आगे इसे विस्तार से समझाया गया है।
चेंबर के डायमेंशन (आयाम) निम्न तरीके से निर्धारित होते हैं:
एक चेंबर में, ईंटों को निम्नलिखित विधि के अनुसार सजाया जाता है:
प्रत्येक चेंबर की आखिरी लाइन में (हवा के बहने की दिशा में), यानी चेंबर की दीवार में, मियाना / बाहरी दीवार के निकट दो से तीन झिरियाँ का एक समूह तथा चेंबर के मध्य के निकट चार से छह झिरियाँ का एक समूह बनाया जाता है। चेंबर के मध्य के निकट बनी झिरियों की संख्या सम होनी चाहिए। दीवारों के निकट झिरियों की संख्या चेंबर के बीच में बनी झिरियों की संख्या की आधी होनी चाहिए। चेंबर की दीवार में झिरियों के ये दोनों समूह चेंबर के मध्य के विपरीत दिशा में बने होते हैं। अगले चेंबर में झिरियों के ये दोनों समूह अपनी स्थिति परस्पर बदल लेते हैं। इस प्रकार आगे के चेम्बरों में बारी-बारी से झिरियों के समूह की स्थिति बदलती रहती है।
चेम्बरों में झिरियों की इस व्यवस्था का परिणाम हवा के ज़िगज़ैग प्रवाह के रूप में मिलता है तथा इसे आयताकार ट्रेंच की पूरी लंबाई में दोहराया जाता है।
जैसा कि उपरोक्त चित्र में दिखाया गया है, किसी दिए गए चेंबर की दीवार में बनी झिरियाँ पिछले चेंबर की दीवार में बनी झिरियों की सीध में नहीं होती हैं। झिरियों के इस प्रकार एक पंक्ति में ना होने की व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है की हवा/गर्म गैसें दीवारों के निकट की झिरियों से चेंबर में प्रवेश करते हुए मध्य की और बहें ताकि चेंबर के मध्य के निकट बनी झिरियों से बाहर निकल जाएँ। इसी प्रकार, बीच में छोड़ी गई झिरियों के माध्यम से प्रवेश करने वाली हवा / गर्म गैसों का एक भाग मियाना या बाहरी दीवार की तरफ बहते हुए चेंबर के कोनों पर छोड़ी गई झिरियों के माध्यम से चेंबर से बाहर निकलती हैं।
ज़िगज़ैग बहाव के इस पैटर्न को इसे आयताकार ट्रेंच की पूरी लंबाई में दोहराया जाता है।
ज़िगज़ैग ईंट भराई केवल आयताकार ट्रेंच की लंबाई में की जाती है। आयताकार ट्रेंच की चौड़ाई में, जिसे गली कहा जाता है, ईंट भराई एफ.सी.बी.टी.के. की तरह ही की जाती है।
गली क्षेत्र (आयताकार ट्रेंच की चौड़ाई) में, अंतिम लाइन को छोड़कर बाकी सभी लाइनों में एफ.सी.बी.टी.के. की तरह ही समान चौड़ाई के ईंट के पाये बने होते हैं । हवा इस क्षेत्र में एक सीधी रेखा में बहती है। गली क्षेत्र के प्रवेश और निकास पर, केवल ट्रेंच के बाहरी दीवार वाले छोर के निकट ही झिरियाँ छोड़ी जाती हैं। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि हवा भट्ठे में ट्रेंच के कोने से बहे जिसके परिणामस्वरूप भट्ठे के कोनों में अधिक-से-अधिक ईंटों को गर्मी प्रदान की जा सके। केवल बाहरी दीवार के पास झिरियाँ होने से मियाने वाले छोर से हवा के शॉर्ट सर्किटिंग को भी रोका जाता है।