एक इन्ड्यूज्ड नेचुरल ड्राफ्ट ज़िगज़ैग भट्ठे (आई.डी.जेड.के.) में, ईंटों की भराई एक फिक्सड चिमनी बुल्स ट्रेंच भट्ठे (एफ.सी.बी.टी.के.) से अलग होती है। आई.डी.जेड.के. में कई तरह से ईंट भराई की जाती हैं। इस नॉलेज ब्रीफ में भारत के पूर्वी हिस्से में व्यापक रूप से प्रचलित सिंगल ज़िगज़ैग ईंट सेटिंग पर चर्चा की गयी है। एक अन्य नॉलेज ब्रीफ, जिसका शीर्षक है – “एक इन्ड्यूज्ड ड्राफ्ट ज़िगज़ैग भट्ठे (आई.डी.जेड.के.) में ईंटों की भराई (टाइप-2 ब्रिक सेटिंग) कैसे की जाती है?” उत्तर भारत में व्यापक रूप से प्रचलित ईंट सेटिंग पर चर्चा करता है।
एक एफ.सी.बी.टी.के. में, ईंटों को ट्रेंच की चौड़ाई में पायों की एक लाइन में सजाया जाता है। पायों की लाइने हवा के बहाव की दिशा में एक के बाद एक करके सजायी जाती हैं।
एक आई.डी.जेड.के. में, ईंटों की भराई इस तरह की जाती है जिससे भट्ठे में ईंटों के अलग-अलग चैम्बर बन जाते हैं। एफ.सी.बी.टी.के. की तरह, आई.डी.जेड.के. में भी, ईंटों को ट्रेंच की चौड़ाई में पायों की एक लाइन में सजाया जाता है। हालांकि, एफ.सी.बी.टी.के. के विपरीत, ईंटों के पाये एक समान चौड़ाई के नहीं होते। ईंटों के पायों की लाइनों को आग के आगे की और बढ़ने की दिशा में एक के बाद एक करके सजाया है। आई.डी.जेड.के. में, एक चैम्बर में पायों की ऐसी आठ लाइनें होती हैं।
ईंट भराई अलग होने के कारण, दोनों तरह के भट्ठों में हवा बहने का मार्ग भी अलग होता है। एक एफ.सी.बी.टी.के. में, हवा ट्रेंच की लंबाई में एक सीधे रास्ते में बहती है। एक आई.डी.जेड.के. में, ट्रेंच की चौड़ाई और लंबाई दोनों में एक ज़िगज़ैग रास्ते में बहती है। हवा एक ज़िगज़ैग पथ पर कैसे बहती है, इस नॉलेज ब्रीफ में आगे इसे विस्तार से समझाया गया है।
चैम्बर के डायमेंसन (आयाम) निम्न तरीके से निर्धारित होते हैं:
एक चैम्बर में, ईंटों को निम्नलिखित विधि के अनुसार सजाया जाता है:
प्रत्येक चैम्बर की अंतिम लाइन में (हवा के बहाव की दिशा में) यानी चैम्बर की दिशा में,ईंटों के पाए के एक छोर पर (दीवारों के नजदीक) हवा बहने के रास्ते छोड़े जाते हैं। चैम्बर की दीवार पर बारी-बारी से, या तो बाएं छोर पर या दाहिने छोर पर ऐसे रास्ते छोड़ दिए जाते हैं। चैम्बरो में इस तरह रास्ते छोड़ने के कारण हवा का ज़िगज़ैग बहाव होता है।
सिंगल ज़िगज़ैग बहाव में, हवा बारी—बारी से या तो बाएं किनारे के या दाहिने किनारे के रास्तों से चैम्बर में प्रवेश करती है।
जब हवा बाएं किनारे से एक चैम्बर में प्रवेश करती है, तो यह चैम्बर की चौड़ाई में चैम्बर के दाहिने भाग की ओर बहती है। यह चैम्बर के दाहिने किनारे पर बने रास्तों से बाहर निकलती है और अगले चैम्बर में प्रवेश कर जाती है।
जब हवा दाहिने किनारे से चैम्बर में प्रवेश करती है, तो यह चैम्बर की चौड़ाई में बाएं किनारे की ओर बहती है। यह चैम्बर के बाएं किनारे पर बने रास्तों के माध्यम से बाहर निकलती है और अगले चैम्बर में प्रवेश करती है।
बारी—बारी से चैम्बरों में हवा के बहाव की दिशा उलटने के कारण, भट्टे में ज़िगज़ैग बहाव बनाता है। हवा के इस तरह बहने को आयताकार ट्रेंच की लंबाई में बारी-बारी से चैम्बरों में दोहराया जाता है।
ज़िगज़ैग ईंट भराई केवल आयताकार ट्रेंच बड़ी लंबाई में की जाती है। आयताकार ट्रेंच की छोटी लंबाई में, जिसे गली कहा जाता है, ईंट भराई एफसीबीटीके की तहर ही की जाती है।
गली (आयताकार ट्रेंच की छोटी लंबाई) में, आखिरी लाइन को छोड़कर बाकी सभी लाइनों में एफ.सी.बी.टी.के. की तरह ही समान रूप से एक ही चौड़ाई के ईंट के पाये बने होते हैं । हवा इस क्षेत्र में एक सीधी रेखा में बहती है। गली क्षेत्र के प्रवेश और निकास पर, मुहांने (रास्ते) केवल ट्रेंच की बाहरी दीवार के पास ही छोड़े जाते हैं। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि हवा भट्ठे में ट्रेंच के कोने से बहे जिससे जितना संभव हो उतनी ज्यादा ईंटों तक गर्मी पहुंचायी जा सके। बाहरी दीवार के पास मुहांने (रास्ते) से भट्ठे के मियाने के पास हवा के बहाव के शॉर्ट सर्किटिंग को भी रोका जा सकता है।