आप अपने फिक्स्ड चिमनी बुल्स ट्रैंच भट्ठे (बी.टी.के.) के कार्यप्रदर्शन को बेहतर कैसे बना सकते हैं?
बुल्स ट्रैंच भट्ठा (बी.टी.के.) में आपके सामने आने वाली प्रमुख समस्याएं हैं:
ईंधन की अत्यधिक खपत
पकी हुई ईंटों में अच्छी गुणवत्ता वाली ईंटों का प्रतिशत कम होना
अधिक वायु प्रदूषण।
इनमें से कुछ समस्याएं बी.टी.के. में अंतर्निहित होती हैं, और काफी हद तक वे ऐसी ही बनी रहेंगी। बेहतर यह होगा कि बी.टी.के. की जगह ज़िगज़ैग भट्ठा तकनीक अथवा अन्य कुशल भट्ठा तकनीकों का प्रयोग किया जाए। हालांकि ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आपके बी.टी.के. के कार्यप्रदर्शन को बेहतर बनाया जा सकता है।
विज्ञापन
आपके बी.टी.के. के कार्यप्रदर्शन को बेहतर बनाने के क्या तरीके हैं?
आपके बी.टी.के. के कार्यप्रदर्शन को बेहतर बनाने के कुछ तरीके निम्ननलिखित हैं:
ईंधन झुकाई के तरीकों में सुधार लाना
भट्ठे में हवा के रिसाव को कम करना
भट्ठे से होने वाली गरमाहट की हानि (हीट लॉस) को कम करना
भट्ठे के रखरखाव और उसे चलाने के अच्छे तरीकों को अपनाना।
विज्ञापन
ईंधन की झुकाई के तरीकों में सुधार लाकर आपके बी.टी.के. के कार्यप्रदर्शन को किस तरह बेहतर बनाया जा सकता है?
लम्बा ईंधन झुकाई क्षेत्र, एक आदमी ईंधन को छोटी मात्रा में लगातार झोंक रहा हैमशीनी ईंधन फीडिंग प्रणाली (स्रोत: Verdes)
बी.टी.के. में मौजूदा पद्धति यह है कि हर 30–45 मिनट के अन्तराल पर लगातार 5–10 मिनट के लिए ईंधन झोंका जाता है। इस 5–10 मिनट वाले प्रत्येक सत्र के दौरान दो फायरमैन मिलकर बड़े-बड़े चम्मचों से लगभग 150–300 किलोग्राम कोयला झोंकते हैं। प्रत्येक चम्मच की क्षमता 1.5–2.0 किलोग्राम होती है।
इतने कम अंतराल पर रुक-रुक कर कोयले की इतनी अधिक मात्रा झोंकने से कोयले की काफी मात्रा भट्ठे के तले पर जमा हो जाती है। तले में जमा कोयले को जलने के लिए पर्याप्त हवा नहीं मिल पाती है और वह अधजला रह जाता है, जिसके कारण कोयले की बर्बादी होती है और वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।
कोयला झोंकने के तरीकों में नीचे दिए गये सुझावों के अनुसार बदलाव लाकर ईंधन के जलने में सुधार लाया जा सकता है।
कोयले को बिना किसी अन्तराल के, थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लगातार झोंका जाए।
कोयला झोंकने के लिए छोटे चम्मचों का इस्तेमाल किया जाए और केवल एक फायरमैन ही झुकाई करे।
यह सुनिश्चित किया जाए कि कोयले को तोड़कर उसका आकार आधे इंच से भी कम हो।
इच्छानुसार फीडिंग दर पर ईंधन की निरंतर और बराबर मात्रा की फीडिंग सुनिश्चित करने के लिए एक मशीनी ईंधन फीडिंग प्रणाली का उपयोग भी एक विकल्प हो सकता है।
ईंधन के जलने में सुधार से ईंधन की खपत और वायु प्रदूषण में कमी आएगी।
भट्ठे में हवा के रिसाव में कमी लाकर बी.टी.के. के कार्यप्रदर्शन को किस तरह बेहतर बनाया जा सकता है?
बी.टी.के. में हवा के रिसाव के स्थान
ईंधन को जलाने और गरमाहट को पुनः उपयोग में लाने के लिए भट्ठे में पर्याप्त मात्रा में हवा का होना आवश्यक है। गरमाहट को पुनः उपयोग में लाने का अर्थ है गरमाहट का ईंट कूलिंग क्षेत्र से ईंट फायरिंग क्षेत्र में और ईंट फायरिंग क्षेत्र से ईंट प्रीहीटिंग क्षेत्र में स्थानान्तरण। आदर्श रूप से सारी हवा को ईंटों के निकासी वाले भाग से भट्ठे में प्रवेश करना चाहिए तथा पहले कूलिंग क्षेत्र में, फिर फायरिंग क्षेत्र, प्रीहीटिंग क्षेत्र और नालियों से होते हुई चिमनी से बाहर निकलना चाहिए।
वायुमंडलीय दबाव की तुलना में भट्ठे के अंदर कम दबाव होता है। अतः भट्ठे में जहाँ भी खुली जगह होगी वहां से बाहर की हवा प्रवेश करेगी। इसीलिये भट्ठे में केवल निकासी वाले क्षेत्र को हवा के प्रवेश के लिये खुला रखा जाता है। मगर घाटी, भट्ठे की छत, नालियों, भट्ठे की दीवारों और तिरपाल से भी बाहर की ठण्डी हवा का भट्ठे में रिसाव की सम्भावना होती है।
भट्ठे में किसी भी तरह के हवा के रिसाव के कारण ईंट को ठंडा करने वाले क्षेत्र से घुसने वाली हवा के बहाव की मात्रा कम हो जाती है, जिसके कारण गरमाहट को पुनः उपयोग में लाने में कमी आती है। ईंधन को जलाने की क्षमता में भी कमी आती है क्योंकि ईंधन को जलने के लिए कम हवा उपलब्ध होती है। फायरिंग क्षेत्र के निकट ठंडी हवा के रिसाव से ऊँचा तापमान बनाए रखने में भी कठिनाई होगी और अंततः ईंधन की खपत बढ़ जाएगी।
हवा के रिसाव को रोकने से ईंधन की खपत कम हो जाएगी और ईंटों की गुणवत्ता में सुधार होगा।
भट्ठे से गरमाहट की हानि (हीट लॉस) में कमी लाकर बी.टी.के. भट्ठे के कार्यप्रदर्शन को किस तरह बेहतर बनाया जा सकता है?
दोहरी-दीवार वाली घाटी जिसमें दो दीवारों के बीच राख भरी गयी हैइंसुलेटेड फ़ीड-होल कवर (तवे)
बी.टी.के. में भट्ठे की छत, दीवारों, घाटी और तवों से गरमाहट की हानि होती है। आप निम्नलिखित तरीकों से गरमाहट की हानि में कमी ला सकते हैं:
घाटी को दोहरी दीवार, जिनके बीच में राख भरी गई है, से बंद करके
दोहरी चादर वाले इन्सुलेटेड (ऊष्मारोधक) तवे का उपयोग करके
थर्मल इन्सुलेशन (ऊष्मारोधन) को बढ़ाने के लिए भट्ठे के ऊपर बिछी राख की परत को मोटी करके।
भट्ठे में गरमाहट की हानि को कम करने से ईंधन की खपत कम होगी।
भट्ठे के रखरखाव और उसे चलाने के अच्छे तरीके अपनाकर आप अपने भट्ठे के कार्यप्रदर्शन में सुधार कैसे ला सकते हैं?
समतल सतह पर और सीधे पायों में सजाई ईंटें
अच्छे रखरखाव और चलाने के अच्छे तरीके आपके भट्ठे के कार्यप्रदर्शन में काफी हद तक सुधार ला सकते हैं। ऐसे कुछ अच्छे तरीके निम्नलिखित हैं।
भट्ठे की सतह समतल और पक्की रखनी चाहिए। इससे ईंटों की टूट-फूट में कमी आएगी।
ईंटों को जमाते समय इस बात का ध्यान रखें कि ईंटों के पाये सीधे और पंक्तिबद्ध हों। साथ ही ध्यान रखें, कि पहला झूँक जिसके ऊपर ईंधन डाला जाएगा, झुकाई के छेद के नीचे बीचों-बीच हो। इससे भट्ठे में ईंधन बराबर फैलेगा, भट्ठे के भीतर हवा का बहाव बेहतर होगा और ईंटों की टूट-फूट कम होगी।
चिमनी के खींचान को बनाए रखने के लिये चिमनी की दीवारों से हवा के रिसाव को रोकना चाहिये व समय-समय पर नालियों की सफाई करके उन्हें चोक होने से बचाना चाहिए।
भट्ठे के झूँक पर या तले पर ईंधन के जमा होने को रोकना चाहिए। इससे ईंटों की जरूरत से ज्यादा पकने और ईंधन की बरबादी की संभावना कम हो जाएगी।
ठीक से सूखी हुए कच्ची ईंटों को भट्ठे में लोड किया जाना चाहिए। इससे ईंटों की टूट-फूट और ईंधन की खपत कम होगी।
सुनिश्चित करें कि ईंटों को ठण्डा करने वाला क्षेत्र (कूलिंग ज़ोन) बहुत लम्बा ना हो। लम्बे कूलिंग ज़ोन के होने से भट्ठे में हवा के बहाव की मात्रा में कमी आती है। यदि ईंटें ठंडी नहीं हो पा रही हैं, और कूलिंग ज़ोन को लम्बा रखने की आवश्यकता पड़ रही है, तो कूलिंग ज़ोन में हवा के रिसाव या हवा के बहाव में किसी प्रकार के अवरोध की संभावना की जांच करें और इसे सुधारें।